शराब एक ऐसा तरल पदार्थ (लिक्विड) है जिसमे शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन आदि कोई भी तत्त्व नहीं होता यकर्त उसे पचा नहीं सकता. इसलिए उसे सीधे हर्दय में पंहुचा देता है हर्दय में खून के साथ मस्तिष्क की ओर चल पड़ता है फलतः वह शराब के दुस्प्रभाव में आ जाता है उसके ज्ञान एव तर्क तंतुओ की क्षमता नष्ट हो जाती है वाणी, हाथ-पैर की क्रिया, द्रष्टि आदि सभी इन्द्रिया अनियत्रित हो जाती है जब शराब गुर्दों में पहुच जाती है, तब यह विष गुर्दों की कोशिकाओ को खरोचता रहता है, जिनसे उनमे खुरदरापन आ जाता है इससे केल्सियम जमने लगता है और रक्त प्रवाह में बाधा पहुचने लगती है इससे गुर्दे में दर्द भी बढ़ता है और यहाँ की कोशिकाये मोटी भी हो जाती है इन दो बीमारियों के लिए स्थाई निवास बनाकर ही शराब शरीर से बहार निकलती है अतः असामयिक म्रत्यु से बचने के लिए यह व्यसन छोड़ना अति आवश्यक है
http://www.orkut.co.in/Main#Community.aspx?cmm=58434122
Saturday, January 10, 2009
हँसिए और जीवन को मधुर बनाइये
खिल खिलाकर हँसना, हास्य विनोद, मुस्कराट मनुष्य के शावास्त्य को ठीक बनाने की अचुत दावा है शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हँसना एक महत्वपूर्ण साधन है हँसना जीवन का सौरभ है अपने आप से कुंद कलिका जब खिलखिला उठती है, तो उसका सौंन्द्र्य देखते ही बनता है मनहूसों का दिल उसकी और आकर्षित हो उठता है जीवन की विभिषीकाओ से दग्ध मनुष्य के लिए भी वे कुछ क्षण नवजीवन के प्रेरणा केंद्र बन जाते है बाल शुलभ मुस्कराट, हँसी विनोद के सम्पर्क में आकर निराश, नीरस व्यक्तियों में भी जीवन की स्फुरणा जाग पड़ती है साथियों के हास्य विनोदमय कहकहे के बीच उस समय मनुष्य अपने दुःख एव अवसाद की अनुभतीयो को भी तीरोहीत कर देता है
Friday, January 9, 2009
The Martyrdom Of Amrita Devi and Khejarli Massacre !!!
The Bisnois narrate the story of Amrita Devi, a Bishnoi woman who, along with more than 366 other Bishnois, died saving the Khejarli trees. Nearly 2 centuries back, Maharajah Abhay Singh of Jodhpur required some woods for the construction of his new palace. So the king sent his soldiers to cut trees in the nearby region of Khejarli, where the village is filled with the large number of trees. But when Amrita Devi and local villagers come to know about it, they opposed the kings men. The malevolent feudal party told her that if she wanted the trees to be spared, she would have to give them money as bribe. She refused to acknowledge this demand and told them that she would consider it as an act of insult to her religious faith and would rather give away her life to save the green trees. This is still remembered as the great Khejarli sacrifice. Some Bishnois who were killed protecting the trees were buried in Khejerli village near Jodhpur, where a simple grave with four pillars had been erected. Every year,in September, the Bishnois assemble there to commemorate the extreme sacrifice made by their people to preserve their faith and religion.
भले पधारो पामणा.. आडी़ ती घणों घणों मुजरो...राजी खुसी हो ?
भले पधारो पामणा.. आडी़ ती घणों घणों मुजरो...राजी खुसी हो ?
मालवी जाजम को यो चिट्ठो आपको अपणों हे.जमानो बदली रियो हे.मोबाइल ओर कंप्यूटर जिन्दगी में एसा घुसी ग्या हे जेसा अपणा घर का परंडा ने चुल्हा.बदलती दुनिया में अपण के भी बदलनो पड़ेगा.तो म्हाराद नाना संजय का मन में यो विचार आयो कि अपण अपणी मालवी मे एक चिट्ठो सुरू करां इना काम में म्हारा लाड़का पोता छोटू (वणिको स्कूल को नाम पार्थ हे)ने भारी मदद करी.वीकें म्हारा आसीस.म्हारो आखो जीवन मालवी का काम में ग्यो हे..पण अबे भी लगे हे कि खूब काम बाकी हे.मालवी जाजम का ई पानणा अपणी माड़ी सरीखी मालवी को माथो ऊचो करे ..एसी म्हारी मानता हे.आप भी अणी काम में मदद करो ..म्हारे अपणी मालवी रचना,गीत,लोकगीत,कविता,बारता,जनम,मरण,परण का गीत लिखी पोचाओ..अपणे इण मालवी जाजम का चिट्ठा पे जारी करांगा..मिल बैठ बाचांगा ने राजी वांगा.आपका घर का दाना-बूढा के म्हारो पांव-धोक .नाना-नानी के माथे हाथ फ़ेरजो.जै रामजी की.
थोडी़-घणी.
साठ बरस की हुई गी अपणी नईदुनिया इमें बाँचो खूणो मालवी निमाडी़ को.हर शनिवार..रंगत आपकी मीठी बोली की.मान आपकी मालवी को.
मालवी जाजम को यो चिट्ठो आपको अपणों हे.जमानो बदली रियो हे.मोबाइल ओर कंप्यूटर जिन्दगी में एसा घुसी ग्या हे जेसा अपणा घर का परंडा ने चुल्हा.बदलती दुनिया में अपण के भी बदलनो पड़ेगा.तो म्हाराद नाना संजय का मन में यो विचार आयो कि अपण अपणी मालवी मे एक चिट्ठो सुरू करां इना काम में म्हारा लाड़का पोता छोटू (वणिको स्कूल को नाम पार्थ हे)ने भारी मदद करी.वीकें म्हारा आसीस.म्हारो आखो जीवन मालवी का काम में ग्यो हे..पण अबे भी लगे हे कि खूब काम बाकी हे.मालवी जाजम का ई पानणा अपणी माड़ी सरीखी मालवी को माथो ऊचो करे ..एसी म्हारी मानता हे.आप भी अणी काम में मदद करो ..म्हारे अपणी मालवी रचना,गीत,लोकगीत,कविता,बारता,जनम,मरण,परण का गीत लिखी पोचाओ..अपणे इण मालवी जाजम का चिट्ठा पे जारी करांगा..मिल बैठ बाचांगा ने राजी वांगा.आपका घर का दाना-बूढा के म्हारो पांव-धोक .नाना-नानी के माथे हाथ फ़ेरजो.जै रामजी की.
थोडी़-घणी.
साठ बरस की हुई गी अपणी नईदुनिया इमें बाँचो खूणो मालवी निमाडी़ को.हर शनिवार..रंगत आपकी मीठी बोली की.मान आपकी मालवी को.
Why Bishnois bury their dead bodies
Why Bishnois bury their dead bodies instead of cremating them, like most of the Hindu communities? It is because the wood which is used for cremation is derived from cutting down green trees and it is against there consciousness.
"Sar santey rookh rahe to bhi sasto jaan"
In Khejarli Massacre, Amrita Devi - a Bishnoi women and other local villagers hugged the trees while the soldiers of Maharajah Abhay Singh of Jodhpur did not stopped to chop them down along with the trees. At this stage Amrita Devi spoke these words :
"Sar santey rookh rahe to bhi sasto jaan"
"Sar santey rookh rahe to bhi sasto jaan"
(If a tree is saved even at the cost of one's head, it's worth it).
Subscribe to:
Posts (Atom)