Saturday, January 10, 2009

हँसिए और जीवन को मधुर बनाइये


खिल खिलाकर हँसना, हास्य विनोद, मुस्कराट मनुष्य के शावास्त्य को ठीक बनाने की अचुत दावा है शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हँसना एक महत्वपूर्ण साधन है हँसना जीवन का सौरभ है अपने आप से कुंद कलिका जब खिलखिला उठती है, तो उसका सौंन्द्र्य देखते ही बनता है मनहूसों का दिल उसकी और आकर्षित हो उठता है जीवन की विभिषीकाओ से दग्ध मनुष्य के लिए भी वे कुछ क्षण नवजीवन के प्रेरणा केंद्र बन जाते है बाल शुलभ मुस्कराट, हँसी विनोद के सम्पर्क में आकर निराश, नीरस व्यक्तियों में भी जीवन की स्फुरणा जाग पड़ती है साथियों के हास्य विनोदमय कहकहे के बीच उस समय मनुष्य अपने दुःख एव अवसाद की अनुभतीयो को भी तीरोहीत कर देता है

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