Friday, January 9, 2009

भले पधारो पामणा.. आडी़ ती घणों घणों मुजरो...राजी खुसी हो ?

भले पधारो पामणा.. आडी़ ती घणों घणों मुजरो...राजी खुसी हो ?
मालवी जाजम को यो चिट्ठो आपको अपणों हे.जमानो बदली रियो हे.मोबाइल ओर कंप्यूटर जिन्दगी में एसा घुसी ग्या हे जेसा अपणा घर का परंडा ने चुल्हा.बदलती दुनिया में अपण के भी बदलनो पड़ेगा.तो म्हाराद नाना संजय का मन में यो विचार आयो कि अपण अपणी मालवी मे एक चिट्ठो सुरू करां इना काम में म्हारा लाड़का पोता छोटू (वणिको स्कूल को नाम पार्थ हे)ने भारी मदद करी.वीकें म्हारा आसीस.म्हारो आखो जीवन मालवी का काम में ग्यो हे..पण अबे भी लगे हे कि खूब काम बाकी हे.मालवी जाजम का ई पानणा अपणी माड़ी सरीखी मालवी को माथो ऊचो करे ..एसी म्हारी मानता हे.आप भी अणी काम में मदद करो ..म्हारे अपणी मालवी रचना,गीत,लोकगीत,कविता,बारता,जनम,मरण,परण का गीत लिखी पोचाओ..अपणे इण मालवी जाजम का चिट्ठा पे जारी करांगा..मिल बैठ बाचांगा ने राजी वांगा.आपका घर का दाना-बूढा के म्हारो पांव-धोक .नाना-नानी के माथे हाथ फ़ेरजो.जै रामजी की.

थोडी़-घणी.
साठ बरस की हुई गी अपणी नईदुनिया इमें बाँचो खूणो मालवी निमाडी़ को.हर शनिवार..रंगत आपकी मीठी बोली की.मान आपकी मालवी को.

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